कपालभाति प्राणायाम कैसे करें , लाभ और सावधानियां
हम आपको यहाँ पर कपालभांति प्राणायाम के बारे में बताने जा रहे हैं इसलिए कृपया इसको अच्छे से पढ़कर आप कपालभांति प्राणायाम को अच्छे तरीके से अभ्यास कीजिये और कपालभाति प्राणायाम को अपने जीवन का अभिन्न भाग बनाइये और आप देखेंगे की आपके जीवन और श्वास्थ में कैसे परिवर्तन आएगा इसके लिए आपको इसके बारे में अच्छे से धायनपूर्वक नीचे दिए गए आर्टिकल को पढ़ना होगा और आप साथ ही साथ इसका अभ्यास भी कर सकते हो –


आरामदायक स्तिथि
सबसे पहले आप किसी स्थान पर आरामदायक स्तिथि में बैठ जायें , जैसे आप पद्यासन सुखासन या अपनी रीढ़ को सीधा करके कुर्सी पर बैठ सकते है , यदि आप जमीन पर बैठकर कपालभांति का अभ्यास करोगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा|
हम आपको आगे बताते चलें की पद्यासन को कमल मुद्रा और सुखासन को आसान मुद्रा भी कहा जाता है |
अब आप अपने कंधो को आराम से सीधा रखें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और याद रखें की आपके दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा या ध्यान मुद्रा में होने चाहिए |

गहरी श्वास
अब आपको सबसे पहले 2 या 3 बार गहरी श्वास अपने अंदर भरें और छोड़े |
कपालभाति प्राणायाम करने से पहले अपनी नाक से धीमी और गहरी श्वास अपने अंदर भरें और ध्यान रखना है की आपके फेफड़ो में हवा ठीक से भरी होनी चाहिए |

जोर से श्वास भरें और छोड़ें
कपालभांति प्राणायाम को शुरू करने से पहले श्वाश को अपने अंदर भरे और याद रहे कि जब आप श्वाश ले रहे होंगे उस समय फेफड़ो में हवा भरनी चाहिए और पेट की मांसपेशियों को सिकोड़कर पेट अंदर की ओर जाना चाहिए | अब आपको कपालभाति का अभ्यास करना है |
जब आप अपनी नाक से श्वाश भरकर बहार की ओर छोड़ोगे तो उस समय आपका पेट अंदर की और जाना चाहिए |
आसान भाषा में कहा जाये तो जब अपनी नाक से श्वास भरोगे तो पेट बहार की ओर जाना चाहिए और जब आप श्वाश को बहार की छोड़ोगे तो पेट अंदर की ओर जाना चाहिए |
लयबद्ध तरीके से कपालभाति के अभ्यास को दोहराएं
आप शुरुआत में कपालभाति का अभ्यास 4-5 राउंड से शुरुआत कर सकते हो और जब आप रोज इसका अभ्यास करोगे तो आप अभ्यास का समय को धीरे-2 बढ़ा सकते हो, कपालभाति प्राणायाम को अपने जीवन का अभिन्न भाग बनाइये और आप देखेंगे की आपके जीवन में कैसे परिवर्तन आता है |

सावधानियां
यदि आप निम्न में से किसी भी समस्या से पीड़ित हैं तो कपालभाति का अभ्यास नहीं करना चाहिए –
- यदि कोई महिला गर्भवती है तो उसे कपालभाति का अभ्यास नहीं करना चाहिए |
- यदि कोई महिला या लड़की मासिक धर्म से गुजर रही है तो उसे कपालभाति का अभ्यास नहीं करना चाहिए
- यदि कोई व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित है तो उसे कपालभाती का अभ्यास नहीं करना चाहिए
- यदि किसी व्यक्ति की हल ही में पेट की सर्जरी हुई हो , हर्निया, मिर्गी से पीड़ित हो या वह ह्रदय की समस्या से ग्रसित हो तो उसको कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास से बचना चाहिए|
- कपालभाति प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए। अगर पेट भरा हुआ है, तो इस प्राणायाम को न करें|
कपालभाति के लाभ
आप जैसे ही कपालभाती प्राणायाम का अभ्यास की शुरुआत करते हो या अपने जीवन में कपालभाति प्राणायाम को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हो तो आप देखोगे की आपके श्वास्थ और आप खुद कैसे रोजाना अपने जीवन को आगे बढ़ते हुए देखते हो | कपालभाति प्राणायाम को करने से आपको कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते है , जैसे
- कपालभाति प्राणायाम हमारे फेफड़ों और साइनस को डिटॉक्स करता है|
- कपालभाति प्राणायाम हमारे पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है और मजबूत बनाता है |
- कपालभाति प्राणायाम हमारे पेट की चर्बी को कम करता है और वजन घटाने में मदद करता है।
- कपालभाति प्राणायाम ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है, मानव मस्तिष्क को सक्रिय करता है और हमारी श्वास के प्रवाह को संतुलित करता है |
- कपालभाति प्राणायाम से ध्यान करने की छमता बढ़ती है और हमारे मानसिक संतुलन में सुधार और स्थिर करता है |
- कपालभाति प्राणायाम हमारे नासिका मार्ग को साफ करता है और जमाव से राहत देता है जिसके कारण हम स्वस्थ महसूस करते है |
